Sangeeta

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लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2022 बादलों के पार

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चांद का झूला हो चांदनी रात हो,

बादलों की बरखा की, मंद मंद फुहार हो,

टिमटिमाते तारों की चमकती रोशनी में--

हाथों में  तेरे जब मेरा हाथ हो,

छोड़ दुनियादारी के रीति रिवाज,

  आओ चल चले हम बादलों केपार
      
       ..   संगीता वर्मा✍✍


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12 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:47 PM

बेहतरीन

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Reyaan

27-May-2022 11:59 PM

बहुत खूब

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Chirag chirag

27-May-2022 05:26 PM

Wow

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